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डाटा स्ट्रक्चर किया होता हे – What is data structure in Hindi

  

 




                                                       


एक बात बताइए क्या आप आईटी इंडस्ट्री में कैरियर को लेकर इंटरेस्टेड है और क्या आप एक सक्सेसफुल सफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं अगर हां तो डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम जिसे 
शर्टकट में DSA कहा जाता है,की नलेज आपको जरूर से होनी चाहिए.

क्योंकि आज हर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का एसएनसीएल पार्ट इये बन चुका है और हर सफ्टवेयर इसका यूज करता है.

सफ्टवेयर के अलावा बैंकिंग एंड फाइनेंस हेल्प केयर सर्विस सेंटर एंटरटेनमेंट एंड लाइसेंस में भी इनका यूज होता है और इसरो गूगल, अमेज़न ,आईबीएम और इंफोसिस जैसी टॉप कंपनी में भी डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम का यूज करते हैं.

यानी इस टूल में मास्टरी हासिल हो तो ऐसी टप कंपनी में जब मिलने की ब्राइट चांसेस भी मिल सकती है.

वैसे मैं आपको भी डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम के बारे में जरूर जान लेना चाहिए और इसी लिए ही तो हमने आज का यह blogpost लिखा है.

ताकि आप इसे देखकर डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम का बेसिक कन्सेप्ट समझ पाए और ऐसे learn करने के बारे में सोच सके हालांकि लर्निंग थोड़ी टप पड़ती है इसलिए ज्यादातर कंप्यूटर साइंस स्टूडेंट इसे skip करना ही प्रिफेर करते हैं.

लेकिन शायद आप इसके इम्पोर्टेन्ट जानके अपना इरादा बदल ले इसलिए इस इनफॉर्मेटिव पोस्ट को पूरा जरुर पढ़े. तो चलिए जानते हैं कि डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम को learn करना इतना जरूरी क्यों है.

 

 

डाटा स्ट्रक्चर किया हे – What is data structure & algorithm in Hindi

डाटा स्ट्रक्चर्स एंड एल्गोरिथम्स कंप्यूटर साइंस की एक ब्रांच है जो मशीन एफिशिएंट और ऑप्टिमाइज कंप्यूटर प्रोग्राम से डील करती है डाटा स्ट्रक्चर ड्रम डाटा स्टोरेज और ऑर्गेनाइजेशन को रेफर करती है

तो एल्गोरिदम डिजायर आउटकम के लिए किए गए स्टेप बाय स्टेप प्रोसीजर को रेफर करता है. इये तो अलग-अलग टूल्स होते हैं जो कंबाइन होके कंप्यूटर प्रोग्रामर को यह फैसिलिटी देते हैं कि वह अपनी पसंद की कंप्यूटर प्रोग्राम बिल्ड कर सके.

कुछ कमन डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम है जैसे कि Linked list, stack, queue, sets, maps, hash tables or search trees.

इस दोनों टूल को क्लीयरली समझने के लिए इनके बारे में एक-एक करके जानते हैं और पहले बात करते हैं .

डाटा स्ट्रक्चर के कंप्यूटर साइंस में डाटा को स्टोर और ऑर्गेनाइज करने के लिए एक स्पेशलाइज्ड फॉर्मेट है डाटा स्ट्रक्चर. यह डाटा स्ट्रक्चर कंप्यूटर साइंस का key कंपोनेंट है और इसका यूज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑपरेटिंग सिस्टम और ग्राफिक्स etc. मैं होता है.

ज्यादातर डाटा स्ट्रक्चर रियल लाइफ से ही इंस्पायर्ड होते हैं. यह बिल्कुल ऐसा है जैसे आपको आपकी अलमारी में कपड़ों को ऐसे सिस्टमैटीक में रखना चाहिए कि नेक्स्ट टाइम जब आप को स्पेसिफिक क्लथ चाहिए तो आप आसानी से उसे निकाल सके .

यानी आपको अपने कपड़े जो एक तरह का डाटा हुआ उन्हें ऐसे स्ट्रक्चर में आरेंज करना चाहिए जिसमें से जरूरत पड़ने पर आप कोई स्पेसिफिक क्लथ को आसानी से बिना कोई हड़बड़ी के निकाल सके.

बस इस तरह का ऑर्गेनाइज स्ट्रक्चर होता है डाटा स्ट्रक्चर जिसका जरूरत अब बहुत ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि एप्लीकेशन कंपलेक्स और डाटा रिच होती जा रही है जिसकी वजह से एप्लीकेशन को कमन प्रोब्लेम फेस करनी पड़ती है.

जिनमें डाटा सर्च प्रोसेसर स्पीड मल्टीपल रिक्वेस्ट शामिल है और इन सारी प्रॉब्लम को सॉल्व करने का तरीका सिर्फ डाटा सेक्टर ही होता है

क्योंकि डाटा को डाटा स्ट्रक्चर में organise किया जा सकता है जिसे सारे आइटम को एक ही टाइम पर सर्च करने की जरूरत नहीं पड़े और आसानी से रिक्वायर्ड डाटा सर्च किया जा सकते हैं.

 

डेटा स्ट्रक्चर के प्रकार-Types of Data Structure in Hindi

डाटा स्ट्रक्चर की दो टाइप होते हैं primitive और non-primitive डाटा स्ट्रक्चर.

प्रिमिटिव डाटा स्ट्रक्चर प्रिमिटिव डाटा टाइप्स होते हैं जिसमें int, char, float, double or pointer data structures .

 

आते हैं जिसमें सिंगल भेल्यु फो होल्ड कर सकते हैं और नन प्रिमिटिव डाटा स्ट्रक्चर दो टाइप के होते हैं लीनियर और नॉनलीनियर डाटा स्ट्रक्चर.

 वैसे डाटा का अरेंज जब एक सीक्वेंशियल मेंनर में होता है तो उसे लिनियर डाटा स्ट्रक्चर कहते हैं. ऐसे डाटा स्ट्रक्चर में array, linked list, stack और queues आते है.

इस टाइप के डाटा स्ट्रक्चर में एक लीनियर फॉर्म में एड एलिमेंट केबल दूसरे एक ही एलिमेंट से कनेक्टएड रहता है.

और जब एक एलिमेंट एक से ज्यादा एलिमेंट से कनेक्टेड रहता है उसे non-linear डाटा स्ट्रक्चर कहा जाता है. जैसे trees और graph जिसमें एलिमेंट रैंडम तरीके से arranged रहते हैं.

इनके अलावा डाटा स्ट्रक्चर को dynamic और static डाटा स्ट्रक्चर में भी क्लासिफाइड किया जाता है. Static में कंपाइल टाइम पर साइज एलोकेट किया जाता है.

 जिसे डाटा की मैक्सिमम साइज फिक्स होता है. जबकि dynamic में रन टाइम पर साइज एलोकेट किया जाता है. जिससे मैक्सिमम साइज फ्लेक्सिबल होता है.

 

डाटा स्ट्रक्चर की कमन अपरेशन भि शामिल है : -

1. Searching: - यानी डाटा स्ट्रक्चर में हम कोई भी एलिमेंट सर्च कर सकते हैं.

2. Sorting: - हम डाटा स्ट्रक्चर की एलिमेंट को एसेंडिंग अर्डर डिसेंडिंग अर्डर में sort कर सकते हैं.

3. Insertion: - डाटा स्ट्रक्चर में कोई भी नया एलिमेंट को आसानी से insert किया जा सकता है.

4. Updation: - एलिमेंट को अपडेट भी किया जा सकता है यानी एक एलिमेंट को दूसरे से रिप्लेस कर सकते हैं.

5. Deletion: - डाटा स्ट्रक्चर में कोई भी एलिमेंट को डिलीट किया जा सकता है.

 

 

Algorithm किया हे – What is Algorithm in Hindi ?

एक certain टेक्स को कंप्लीट करने के लिए यार डिजायर्ड आउटपुट पाने के लिए जो स्टेप्स यूज किया जाता है उसकी सेट को एल्गोरिथ्म कहा जाता है. यह प्रोग्रामिंग के लिए ब्लक बिल्ड करने जैसा होता है.

जो स्मार्टफोन कंप्यूटर वेबसाइट स्कोर स्मूथ फंक्शन करने और डिसिशन लेने की परमिशन देता है जैसे कि GPS में होता है.

यानी कि जब आप कोई लोकेशन सर्च करते हैं तो GPS एक एल्गोरिथ्म का यूज करके मल्टीपल अवेलेबल रूट्स को चेक करता है और कंप्यूटर भी फास्ट कैलकुलेशन के लिए एल्गोरिथ्म का यूज़ करते हैं.

लेकिन हर प्रोसीजर एल्गोरिथ्म नहीं हो सकता और एक एल्गोरिथ्म बनने के लिए उसमें यह कैरेक्टर स्टिक होने जरूरी है.

एल्गोरिदम क्लियर आर एनम बिगअस होना चाहिए एक एल्गोरिदम के पास 0(Zero या well-defined इनपुट होना चाहिए एल्गोरिदम के पास एक या ज्यादा well-defined आउटपुट्स होना चाहिए और उसे डिजायर्ड आउटपुट से मैच होना जरूरी है.

एल्गोरिदम एक लिमिटेड स्टेप्स के बाद टर्मिनेट होना चाहिए और इसकी स्टेप बाय स्टेप डायरेक्शन होने चाहिए जो कि कोई भी प्रोग्रामिंग कोड से independent होनी चाहिए.

और जैसे कि हम जाने की एल्गोरिथम कोई problem का सल्व करने का ऐसा स्टेप बाय स्टेप प्रोसीजर है जो लिमिटेड स्टेप से पूरा होता है इस देश में ब्रांचिंग और रिपीटेशन शामिल होते हैं.

और यह उन problem के ऊपर डिपेंड करते हैं जिसके लिए एल्गोरिदम को डेवलप किया गया है. एल्गोरिदम की सारी स्टेप्स Human Understandable Language मैं लिखे जाने चाहिए.

जो किसी भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर डिपेंड नहीं करते हैं. एल्गोरिदम को इंप्लीमेंट करने के लिए कोई भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज यूज किया जा सकता है.

Sedro code और फ्लोचार्ट एल्गोरिदम को रिप्रेजेंट करने की पपुलर ways है. एल्गोरिथ्म की कुछ कमन कैटेगरी है search, sorting, graph, tree, tree traversing, dynamic programming, hashing और recedes.

 

 इन्हें properly learn करना इसलिए जरूरी है ताकि आप वेब डेवलपमेंट और प्रोग्रामिंग working organizing प्रिंसिपल को समझ सके. यह डीएसए एक फंडामेंटल कांसेप्ट है.

डीएसए स्किल एक प्रोग्राम और तौर पर आपके पोर्टफोलियो में चार चांद लगा सकती है. स्टार्टअप और फर्म स्ट्राग डीएसए नलेज रखने वाले कैंडिडेट्स को रिफर करती है.

डीसए का यूज़ अक्सर रिसर्च में होता है और इसके जरिए आप बहुत सारे प्रॉब्लम को आसानी से सॉल्व करना सीख सकते हैं. यह किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तक लिमिटेड नहीं है बल्कि इनका यूज आप किसी भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कर सकते हैं.

यानी बीएसए की तो बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है तो चलिए थोड़े और इनकरेजमेंट के साथ इसके बारे में जानते हैं.

 

Advantage/disadvantage of Data structure in Hindi – डाटा स्ट्रक्चर के फायदे और नुकसान

 

डेटा संरचनासरल शब्दों मेंइसके कुशल उपयोग के लिए डेटा संगठन है। एप्लिकेशन के आधार पर डेटा संरचनाएं विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं। उदाहरण के लिएडेटाबेस कंपाइलर की तुलना में विभिन्न डेटा संरचनाओं का उपयोग करते हैं।

 

डेटा संरचनाओं के फायदे और नुकसान सूचीबद्ध हैं:

 

Advantage/लाभ:-

 

Ø  डेटा संरचनाएं हार्ड डिस्क पर सूचना भंडारण की अनुमति देती हैं।

Ø  डेटाबेस या इंटरनेट अनुक्रमण सेवाओं जैसे बड़े डेटासेट के प्रबंधन के लिए साधन प्रदान करता है।

Ø      कुशल एल्गोरिदम के डिजाइन के लिए आवश्यक हैं।

Ø     कंप्यूटर पर सूचनाओं के सुरक्षित भंडारण की अनुमति देता है। जानकारी में उपयोग के लिए उपलब्ध होती है और कई कार्यक्रमों द्वारा उपयोग की जा सकती है। इसके अतिरिक्तजानकारी सुरक्षित है और इसे खोया नहीं जा सकता (विशेषकर यदि इसे चुंबकीय टेप पर संग्रहीत किया जाता है)।

Ø    एक सॉफ्टवेयर सिस्टम पर डेटा के उपयोग और प्रसंस्करण की अनुमति देता है।

Ø   डेटा के आसान प्रसंस्करण की अनुमति देता है।

Ø    इंटरनेट का उपयोग करते हुएहम किसी भी कनेक्टेड मशीन (कंप्यूटरलैपटॉपटैबलेटफोनआदि) से कभी भी डेटा एक्सेस कर सकते हैं।

 

Disadvantage/नुकसान:

 

Ø    केवल उन्नत उपयोगकर्ता ही डेटा संरचनाओं में परिवर्तन कर सकते हैं.

Ø  डेटा संरचना से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए विशेषज्ञ की मदद की आवश्यकता होगीयानी बुनियादी उपयोगकर्ता स्वयं की मदद नहीं कर सकते।

 

Conclusion आज आपने क्या सीखा 

तो दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा और data structure से संबंधित हर जानकारी आपको मिल गई होगी. 

हमारी कोशिश यही रहती है कि जिस विषय पर हम आर्टिकल लिखें उसमें सारी जानकारी दे सकें.

अगर आपके पास कोई सवाल यह सलाह हो तो आप जरूर हमें कमेंट करें अगर आपको हमारा इये article अच्छा लगा हो लाइक और शेयर कीजिए ताकि बाकी लोगों को भी यह जानकारी पहुंच सके धन्यवाद.

 

 



डाटा स्ट्रक्चर एंड एल्गोरिथम को सीखना इतना जरूरी क्यों है - Why is it so important to learn Data Structures and Algorithms?


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